



रामायण केवल धार्मिक ग्रन्थ ही नहीं बल्कि मनुष्य को जीवन की सीख देता है:जन्मजय
सरायपाली-महासमुन्द जिले के सरायपाली अंतर्गत स्थित गोपनाथ आश्रम विद्या मंदिर हा.से.स्कूल जोगनीपाली में वंदे मातरम् सेवा संस्थान छत्तीसगढ़ के उपाध्यक्ष,साहित्य साधक एवं शिक्षक जन्मजय नायक शिक्षा के आधुनिक दौर में नई पीढ़ी को भारतीय संस्कृति और संस्कारों से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं।इस क्रम में वे शनिवारीय गतिविधि के तहत विद्यार्थियों को ‘रामायण’अर्थात् राम की यात्रा के सातों काण्ड को क्रमशः एक-एक करके बताते आ रहे हैं।इसी क्रम में अब तक वे बाल काण्ड, अयोध्या काण्ड,अरण्य काण्ड,और किष्किन्धा काण्ड का वर्णन कर चुके हैं। बच्चे जय-जय श्रीराम के नारों के साथ उत्साहपूर्वक रामायण के बारे में ज्ञान प्राप्त कर रहे हैं। इस अवसर पर नायक ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा रामायण केवल एक धार्मिक ग्रंथ ही नहीं बल्कि यह मनुष्य को जीवन की सीख देता है।भगवान राम प्यार,दया और सकारात्मकता की प्रतिमूर्ति हैं। उनका शांत और दया भाव से एक पुत्र,पति,भाई और एक राजा की जिम्मेदारी का निर्वहन करना,हमेंआपसी प्रेम और सम्मान जैसे मानवीय गुणों से अवगत कराता है। यदि छात्र-छात्राएँ 10 प्रतिशत भी इन गुणों को अपने दैनिक जीवन में उतार लेते हैं तो वो आगे चलकर खुशहाल और संतुष्ट जीवन जी सकते हैं। नायक ने आगे कहा रामायण भोग नहीं त्याग की गाथा है।रामायण में त्याग की प्रतियोगिता चली है और बड़ी बात यह भी है कि इसमें सभी प्रथम स्थान पर हैं।बलिदान के मामले में कोई पीछे नहीं हैं।भगवान राम और उनके भाइयों का प्रेम व समर्पण आज के स्वार्थी होते जा रहे युग में भी मिल-जुलकर रहने की शिक्षा देता है।
नायक ने छात्रों को अवगत कराते हुए आगे कहा भगवान राम अपने पिता की आज्ञा और वचन को निभाने के लिए चौदह वर्षों का वनवास स्वीकार किया।इससे सीख लेनी चाहिए कि चाहे परिस्थिति जैसी भी हो संतान को अपनी माता-पिता की आज्ञा का पालन करना चाहिए। माता-पिता ही इस पृथ्वी पर लाते हैं और आपको जीवन जीने योग्य बनाते हैं।इसलिए संतान वही योग्य है जो अपनी माता-पिता का ध्यान रखें और उनकी आज्ञा का पालन करें।उनके आशीर्वाद से कठिन से कठिन परिस्थियों में भी सफलता प्राप्त की जा सकती है।इस अवसर पर विद्यालय के उपसंचालक दुर्गा चरण नायक,प्राचार्या जज्ञसेनी मिश्रा लिपिकअभिमन्यु साहू उपस्थित थे। कार्यक्रम को अनुशासित ढंग से सफल बनाने में शिक्षक-शिक्षिकाओं की भूमिका महत्वपूर्ण रही।