

बुद्धिमता और दूरदर्शिता वेदों के अध्ययन व वेदानुकुल आचरण से ही आती है:जन्मजय
सरायपाली-अंचल में मशहूर आर्य समाज बड़े पंधी का वार्षिक महोत्सव व मकर सक्रांति महोत्सव धूमधाम से सम्पन्न हुआ।पिता स्व.वैष्णव भोई एवं माता स्व.कुंती भोई के पदचिन्हों पर चलते हुए आयोजन प्रमुख आनंद भोई एवं उनके परिवार व ग्रामवासियों के सहयोग से यह कार्यक्रम 31 वर्षों से निरंतर चली आ रही है।कार्यक्रम का उद्देश्य सबसे प्राचीन हिन्दू धर्मग्रंथों वेदों को पुनः सत्य के रूप में स्थापित करना है।तथा मानव जाति की शारीरिक,आध्यात्मिक और सामाजिक भलाई में सुधार करना है। कार्यक्रम का शुभारंभ प्रभात फेरी से की गई जिसमें विद्यालयीन बच्चों के साथ-साथ ग्रामवासी,नवप्रभात गुरुकुल के ब्रह्मचारी एवं आचार्य गण सम्मिलित हुए। पश्चात ऊं का झण्डा फहराया गया।कार्यक्रम में होमयज्ञ आहूति के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया गया था।इस अवसर पर वंदेमातरम सेवा संस्थान छत्तीसगढ़ के उपाध्यक्ष जन्मजय नायक बतौर संचालक के रूप में सम्मिलित हुए।इस अवसर पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा बुद्धिमत्ता और दूरदर्शिता वेदों के अध्ययन एवं वेदानुकुल आचरण से आती है।आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानन्द सरस्वती की शिक्षाएं आज की दुनिया में जरूरी है।एक धार्मिक नेता से ज्यादा उन्होंने धर्म और भारतीय समाज की अवधारणा पर गहरा प्रभाव छोड़ा।उन्होंने किसी विशेष जाति का नहीं,बल्कि सार्वभौमिकता का प्रचार किया।साथ ही वेदों को समस्त ज्ञान व धर्म के मूल स्रोत तथा प्रामाणिक ग्रन्थों के रूप में स्थापित करते हुए जनमानस को पुनः वेदों की ओर लौटने का आह्वान किया।नायक ने मकर सक्रांति के संदर्भ में कहा यह सूर्य उपासना का पर्व है।यह हमें प्रकृति का सम्मान करना और उसके साथ सह अस्तित्व बनाना सिखाती है।फसल कटाई के मौसम और गन्ना,तिल और चावल जैसी फसलों के साथ इस त्यौहार का संबंध जीविका के लिए प्रकृति पर मानवता की निर्भरता को दर्शाता है।कार्यक्रम समाप्ति पश्चात सात्विक महाप्रसाद भोजन ग्रहण करके सब अपने-अपने गन्तव्य को प्रस्थान किए।