



गोपनाथ विद्यालय में बसंत पंचमी का पर्व हर्षोल्लास मनाया गया।
सरायपाली- गोपनाथ आश्रम विद्या मंदिर हा.से.स्कूल जोगनीपाली में बसंत का आगमन तथा सरस्वती माता के जन्मोत्सव बसंत पंचमी का पर्व हर्षोल्लास मनाया गया।कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के छायाचित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर,पुष्प और श्रीफल अर्पण कर किया गया।तत्पश्चात विद्यालय के छात्राओं द्वारा सरस्वती वंदना ‘जननी हंस विहारिणी माता’ की सुन्दर प्रस्तुति दी गई।शिक्षक जन्मजय नायक ने ओडिया भाषा में ‘मां गो ज्ञान दायिनी मां’ वंदना गाकर सरस्वती मां को सादर समर्पित किया।शिक्षिकाअराधना साहू,तपस्वनी सिदार ने भी सरस्वती वंदना की मनमोहक प्रस्तुति दी।संबोधन की कड़ी में विद्यालय के संस्थापक गोपनाथ गुरुजी ने कहा बंसत ऋतु के सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक बसंत पंचमी का त्योहार है जो ज्ञान,कला और संगीत की देवी सरस्वती माता के सम्मान में मनाया जाता है।इस दिन मां सरस्वती का आशीर्वाद लेने से ज्ञान और रचनात्मक क्षमताओं में वृद्धि होती है।
वंदेमातरम् सेवा संस्थान छत्तीसगढ़ के उपाध्यक्ष,शिक्षक जन्मजय नायक ने कहा जिस प्रकार ऋतुओं के राजा बसंत के आगमन से प्रकृति जीवंत हो उठती है,सारी सृष्टि खिलकर मनमोहक बन जाती है,उसी प्रकार हमें भी अपने श्रेष्ठ कार्यों से समाज,राष्ट्र व विश्व को आभामय बनाना चाहिए।नायक ने आगे कहा प्रकृति हमारी सबसे बड़ी पाठशाला है लेकिन मनुष्य प्रकृति से दूर हो चला हैऔर बनावटी जीवन-शैली जीने में लगा है।उसके पास आधुनिक साधन है लेकिन प्रकृति नहीं है।उसे प्रकृति के सौंदर्य को देखने की और उसे महसूस करने की संवेदना नहीं है।व्यस्ततम जीवन के चलते प्रकृति के आनंद को महसूस नहीं कर पा रहा है।
उपसंचालक दुर्गा चरण नायक ने कहा बसंत ऋतु लोगों के जीवन में ताजगी और पुनर्जीवन की भावना लाता है।ठंड और सर्दियों को सहन करने बाद बसंत की गर्मी और सुंदरता आत्माओं को ऊपर उठाती है और आशावाद की भावना को प्रेरित करती है।यह प्रकृति की जीवंतता, सरस्वती की भक्ति का जीवन उत्सव है।प्राचार्या जज्ञसेनी मिश्रा ने कही बसंत पंचमी केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है बल्कि ज्ञान और संस्कृति के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने का अवसर है।यह पर्व हमें शिक्षा और कला के महत्व को समझने की प्रेरणा देता है और जीवन में सतत् ज्ञानार्जन की भावना को प्रोत्साहित करता है। शिक्षक सौमित्र मांझी ने कहा बसंत ऋतु के आते ही धरती अपना श्रृंगार करती है और हरियाली की चादर ओढ़ लेती है।जिस प्रकार मनुष्य के जीवन में यौवन आता है उसी प्रकार बसंत प्रकृति का यौवन है।अंत में सभी बच्चे मां सरस्वती के छायाचित्र पर पुष्पअर्पण कर आशीर्वाद मांगा।
कार्यक्रम का संचालन शिक्षक अनिल कुमार साहू ने किया।कार्यक्रम को सफल बनाने में सभी शिक्षक-शिक्षिकाओं की भूमिका महत्वपूर्ण रही।