

गुरुकुल का उद्देश्य पाश्चात्य जगत की दुष्प्रवृतियों से विद्यार्थियों को बचाना है :जन्मजय नायक
सरायपाली- विगत दिनों अलेख महिमा एवं दयानंद मठ चंबा हिमाचल प्रदेश के संयुक्त तत्वावधान में स्वामी सुमेधानंद वैदिक गुरुकुल का दो दिवसीय लोकार्पण समारोह एवं विश्व कल्याण महायज्ञ का आयोजन ग्राम कटंगपाली (बलौदा) जिला-महासमुन्द में भव्यता के साथ सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की धर्म पत्नी कौशल्या साय जी एवं सार्वदेशिक सभा के नेता स्वामी आर्यवेश जी विशेष रूप से पधारे थे।
इस अवसर पर वंदेमातरम् सेवा संस्थान छ.ग.के उपाध्यक्ष,साहित्य साधक,शिक्षक जन्मजय नायक भी शामिल हुए।प्रथम दिवस के कार्यक्रम का बतौर संचालन करते हुए हुए कहा आज गुरुकुल शिक्षा की नितान्त आवश्यकता है।क्योंकि आज कान्वेंट स्कूलों में मैकाले शिक्षा पद्धति पूरी तरह हावी है जिसमें बच्चों को “गंजे को भी कंघी बेचना”ही सिखाया जा रहा है।जो कि पूर्णतः स्वार्थ सिद्धता की श्रेणी में ही आता है।नायक ने आगे कहा गुरुकुल परंपरा का उद्देश्य केवल शैक्षणिक ज्ञान प्रदान करना नहीं है बल्कि छात्रों को आध्यात्मिक और नैतिक मूल्यों की शिक्षा देना है।गुरुकुल शिक्षा प्रणाली सदियों से ज्ञान का संरक्षण और प्रसार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।गुरुकुल में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं में ब्रह्मचर्य के गुण विकसित होते हैं।व साथ में नैतिकता,सामाजिकता,वीरता,विद्वता, तेजस्वी,ओजस्वी व निरोग शरीर वाले,विकसित मष्तिष्क वाले,चरित्रवान,मेधावी व विद्या के क्षेत्र में प्रखर,तेज बुद्धिवाले होते हैं।
नायक ने आगे कहा आज भी गुरुकुल शिक्षा प्रणाली सफल हो रही है क्योंकि हमारे ऋषि-मुनियों ने हमारे सनातन धर्म व संस्कृति की जड़ें इतनी मजबूत की है कि उसको उखाड़ पाना असंभव है।गुरुकुल का उद्देश्य पाश्चात्य जगत की दुष्प्रवृतियों से विद्यार्थियों को बचाना,सुसंस्कारों का सिंचन करना,उत्तम चरित्र निर्माण करना,हर क्षेत्र में एक सफल नागरिक बनाना व स्वस्थ, सुखी व सम्मानित जीवन जीने की कला सिखाना है।
इस अवसर पर गुरुकुल के संस्थापक स्वामी रविन्द्रदास जी,संरक्षक आचार्य महावीर सिंह जी,संचालक ऋषिराज आर्य जी के साथ अनेक गणमान्य नागरिक व सनातन धर्म प्रेमी उपस्थित थे।