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समाज के नेतृत्व की बागडोर सही व्यक्ति के हाथों में हो,तो समाज तरक्की की सीढ़ियों पर चढ़ता है : जन्मजय

सरायपाली-बीते दिनों अघरिया समाज के नेतृत्व करने वाले विविध पदों पर कुछ पदाधिकारी निर्विरोध चयनित हुए हैं तथा आने वाले दिनों कुछ पदाधिकारियों का चुनाव होना है।उक्त परिप्रेक्ष्य में वंदे मातरम् सेवा संस्थान छत्तीसगढ़ के उपाध्यक्ष जन्मजय नायक ने प्रत्येक स्तर के चुनाव निर्विघ्न पूर्ण हो इसके लिए शुभकामना व्यक्त करते हुए प्रेस विज्ञप्ति जारी कर उचित प्रतिनिधि चयन हेतु सुझाव सुझाते हुए कहा है कि हर सामाजिक और पारिवारिक कर्म रूचि प्रधान होते हैं।जैसे व्यवसाय करना,उद्योग चलाना,नौकरी करना या सामाजिक कार्य करना।अतः यह निश्चित है कि जिन्हें सामाजिक कार्य करने में रूचि है वही चयन प्रक्रिया में हिस्सा लेते हैं।रूचि होना और कर्तव्य बोध भी होना यह सामाजिक कार्यकर्ता के दो महत्वपूर्ण गुण हैं।साथ ही साथ समाज की वर्तमान स्थिति तथा भविष्य में होने वाले बदलाव,समाज का संगठनात्मक ढांचा कैसे अबाध रह सके इसके लिए नेतृत्वकर्ताओं की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका होनी चाहिए। इसलिए नेतृत्वकर्ता का चयन करते समय इस विषय का सम्पूर्ण बोध होना चाहिए कि हम जिसे चयन कर रहे हैं,उस व्यक्ति में नेतृत्व क्षमता किस स्तर की है।वह वर्तमान में महत्वपूर्ण तथा ज्वलंत सामाजिक विषयों पर कितना संवेदनशील है,उनकी कितनी जानकारी रखता है और उन समस्याओं का सही निदान करने में कितना सक्षम है।नायक ने आगे कहा है नेतृत्व यानी अग्रणी भूमिका का निर्वाहन।समाज रूपी संस्था में अग्रणी भूमिका मतलब बेहद जिम्मेदारी भरा पद।समाज के नेतृत्व की बागडोर अगर सही व्यक्ति के हाथों में हो,तो समाज तरक्की की सीढ़ियों पर चढ़ता है और नेतृत्व क्षमता में दम और जज्बा ना होतो सामाजिक स्तर का पतन हो जाता है।अब विचारणीय विषय यह है कि नेतृत्व कैसा हो?इस संबध में नायक ने नेतृत्व करने वाले में सहनशीलता के गुण के साथ-साथ उसे कुशल संगठनकर्ता होना अति आवश्यक माना है।कोई भी नेतृत्व तभी सफल होगा जब उसके पास संगठित समूह होगा।सबको साथ लेकर चलने की भावना से ही सामाजिक स्तर पर प्रयास सफल होंगे।योजनाओं का क्रियान्वयन होगा,नेतृत्व करने वाले को अपने पद की गरिमा का भी ख्याल होना चाहिए।शब्दों का चयन पद को ध्यान में रखते हुए हो,क्योंकि यह शब्द ही तय करते हैं कि इंसान किसी के दिल में उतर जाएगा या किसी के दिल से उतर जाएगा।सामंजस्य बिठाकर काम का बँटवारा करना कुशल नेतृत्व क्षमता को परिलक्षित करता है।यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि समाज को दिशा देना,नई सोच प्रदान करना,भावी पीढ़ी का मार्गदर्शन करना,समाज के लोगों में त्याग की भावना पैदा करना,समाज के प्रति लोगों को उत्तरदायी बनाना,समाज का नेतृत्व करने वालों का ही कार्य है।नायक ने समाज के नेतृत्व के संबंध में आगे कहा है कि नेतृत्व का तात्पर्य है सही दिशा में निर्देशित करना।किन्तु आज पद पर बैठते ही बाॅस प्रवृति की एक पद्धति अपना प्रभुत्व जमा लेती है।प्रतिनिधि बनकर जब कोई व्यक्ति पद संभालता है,तब वास्तव में उसका उद्देश्य हुकुमत शाही न होकर सेवा भावना होना चाहिए।सामाजिक संस्थाएँ वास्तव में समाज की उन्नति एवं समस्याओं के निराकरण के लिए गठित की जाती हैं।चयनित व्यक्ति में समाज के प्रति समर्पण एवं निष्पक्षता के साथ पूरे समाज को संगठित एवं संचालित करने की क्षमता होना चाहिए।अहंकार एवं दिखावा,स्वप्रभुत्व हेतु मतभेद से संगठन में जो बिखराव दिखाई देते हैं,वे निश्चित ही पीड़ादायक हैं।’स्व’ को भूलकर ‘पर’ को अपनाना होगा तभी वह हर समाज-बंधु से जुड़ सकता है।बरसों से कुर्सियों पर विराजे समाज नेताओं को युवा-वर्ग को आगे बढ़ाकर उनका मार्गदर्शक बनना चाहिए।नई सोच और विचारधारा के युवाओं को अपने अनुभवों से सिंचित कर पनपने का अवसर देना होगा।समाज के उच्च पदों पर पैसे और शक्ति के बल पर अपना हक ना जमाएं,तो उनका मान सम्मान दिल से होगा वरना तो,उनके आस-पास चमचागिरी का बोलबाला रहेगा।नेतृत्वकर्ता को अपनी पारखी आँखों से भावी युवा सामाजिक कार्यकर्ताओं को परख कर उन्हें जिम्मेदारियाँ सौंपनी होगी।परिवर्तन संसार का नियम है और हमारी समझदारी होगी कि हम इस बात को स्वीकार लें।समाज के नियमों और कानूनों में निरंतर परिवर्तन कर एक सजीवता बनाए रखें।कुप्रथाओं का सहयोग नहीं विरोध करें।नेतृत्वकर्ता को समाज-बंधुओं के वैचारिक मतभेदों को मतभेद नहीं बनने दें वरना समाज-बंधुओं में आपसी गुटबाजी को बढ़ावा मिलेगा।जो भी आचार संहिता बनाए जाए उस पर पदाधिकारी सदैव खरे उतरें क्योंकि उच्च पदों का तो पूरा समाज अनुसरण करता है।नई सोच के साथ सबको साथ लेकर आगे बढ़ने वाले सशक्त हाथों में यह जिम्मेदारी होनी चाहिए।
जन्मजय नायक उपाध्यक्ष- वन्दे मातरम् सेवा संस्थान छत्तीसगढ़


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