






चंद दिनों के यार-प्यार के चक्कर में बीस साल के मुहब्बत मां-बाप को ठुकराओ मत: जन्मजय
सरायपाली-गोपनाथ आश्रम विद्या मंदिर हा.से.स्कूल जोगनीपाली में मातृ-पितृ पूजन दिवस विद्यार्थियों और अभिभावकों की उपस्थिति में आयोजित की गई। इस कार्यक्रम में वंदे मातरम् सेवा संस्थान छत्तीसगढ़ के उपाध्यक्ष,साहित्य साधक,शिक्षक जन्मजय नायक शामिल हुए। इस अवसर पर विद्यालय के बच्चों द्वारा माता-पिता की विधिवत पूजन-अर्चन,वंदन एवं आरती के साथ-साथ सात परिक्रमा करते हुए उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया।माता-पिता भी अपने बच्चों को कुछ क्षण निहारकर गले लगा लिया और आशीर्वाद देते हुए मातृ-पितृ भक्त सेवक बनकर सेवा करने की अपेक्षा की।इस अवसर पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जन्मजय नायक ने कहा कि यह दिवस हमारी भारतीय संस्कृति में माता-पिता की देखभाल के साथ-साथ उनके लिए सम्मान और कृतज्ञता प्रकट करने का दिवस है।माता-पिता से बढ़कर स्वयं भगवान भी नहीं होते,क्योंकि भगवान स्वयं चाहते हैं कि मनुष्य अपने माता-पिता की सेवा करें।चाहे वो पूजा-पाठ करें या न करें पर माता-पिता की सेवा ही सबसे बड़ी पूजा है।अगर माता-पिता हमें जन्म नहीं देते तो दुनिया देखने को नहीं मिलती।
नायक ने वर्तमान समय में माता-पिता की उपेक्षा पर शिकंजा कसते हुए कहा मां-बाप को चंद दिनों के यार-प्यार के चक्कर में बीस साल की मुहब्बत को ठुकरा देते हो।प्रेम के चक्कर में मां-बाप की अवहेलना मत करना।माना कि प्रेम बहुत जरूरी है, पर मां-बाप से जरूरी नहीं।यह जो तुम सेल्फी के चक्कर में दिन-रात लगे रहते हो ये बंद करो।यदि तुम्हें सेल्फी लेनी है तो अपनी मां-बाप और गुरू की लो।नायक ने विविध चैनलों को आड़े हाथों लेते हुए कहा चैनलों के माध्यम से अपसंस्कृति के जहर बाँटने वाले ये तुम्हारे अंदर वासना भरते हैं और जो तुम्हारे घर में बैठे माता-पिता हैं वे उपासना भरते हैं।ये वाॅलीवुड, हॉलीवुड के हीरो नकली हीरो हैं असली हीरो हैं तुम्हारे माता-पिता।
आप कितने ही बड़े बन जाओ,बड़े आदमी बन जाओ,बड़े पदों पर चले जाओ,माता-पिता से बड़े कभी नहीं हो सकते।पद महत्वपूर्ण नहीं सम्बन्ध महत्वपूर्ण होते हैं।नायक ने रामायण प्रसंगानुसार माता-पिता और पुत्र के कलियुगीन संबधों पर प्रकाश डालते हुए कहा कलयुग बड़ा विकराल रूप ले रहा है…आज का राम दशरथ को, वनवास दे रहा है।