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साहित्य जीवन की सुरभित सुगंध है : जन्मजय

सरायपाली- गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्डधारी रचनाकार महेन्द्र पसायत का 23वां नूतन काव्य संग्रह ‘पर्व है,गर्व है,सर्व है,भारत माता की जय’ पुस्तक का विमोचन सेवानिवृत्त महाविद्यालयीन प्राचार्य श्रीवत्स कुमार पसायत के कर कमलों से घंटेश्वरी मंदिर के पास महलपारा सरायपाली में स्थित उनके आवास में सम्पन्न हुई।गौरतलब हो कि 2003से निरंतर 26 जनवरी के अवसर पर प्रकाशित होने वाली यह 23 वीं किताब थी।कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के छायाचित्र पर दीप प्रज्ज्वलन व पुष्प समर्पण कर की गई।इस अवसर पर वंदेमातरम् सेवा संस्थान छत्तीसगढ़ के उपाध्यक्ष,साहित्य साधक,ओजस्वी वक्ता जन्मजय नायक सम्मिलित हुए ।समारोह को संबोधित करते हुए नायक ने कहा काव्य साहित्य की एक विधा है,और ‘साहित्य की शक्ति तोप और बंदूक से कहींअधिक है।’ साहित्य का समाज में महत्वपूर्ण योगदान है।साहित्य समाज को एक नई दिशा देता है।इसलिए साहित्य समाज का दर्पण है।उसका मुख्य प्रयोजन जगत के मार्मिक पक्षों का प्रत्यक्षीकरण करके उनके साथ मानव हृदय का सामंजस्य करना है।नायक ने आगे कहा साहित्यकार स्वयं सृजन का वह अंकुर होता है जो समय रहते अवश्य ही वटवृक्ष की तरह देश और समाज को घनी छाया प्रदान करता है।साहित्यकारों की दुनिया कृति में भावनाओं का सौन्दर्य है।जीवन की सुरभित सुगंध है।हृदय में उठती तरंगो और उमंगो का पुरजोर समावेश है। रचनाकार के संबंध में प्रकाश डालते हुए कहा महेन्द्र पसायत के अब तक के समस्त काव्य संग्रह वर्षों की साहित्य साधना व मानसिक संघर्षों का प्रतिफल है।इस अवसर पर मौजुद अतिथियों ने भी महेन्द्र पसायत की उक्त रचना पर विस्तृत चर्चा करते हुए उनके साहित्य योगदान को भी रेखांकित किया।काव्य विमोचन समारोह में लेखक,प्रकाशक पाठक,साहित्य प्रेमी व गणमान्य नागरिक शामिल होकर नई किताब के जन्म का जश्न मनाए।कार्यक्रम के अंत में रचनाकार द्वारा सात्विक भोजन की उत्तम व्यवस्था की गई थी जिसे ग्रहण कर अपने गंतव्य की ओर प्रस्थान किए।


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